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प्रप्रियार कितना कान था
इसलिए भर्तन पर खड़े रहे के में पैड़ डुखनी लगी ने
ऐसे लग रहा था कि आरामी करो ने
बहुत पेड़ डुख रही ने
इसलिए बहुत पेड़ डुख रही ने
प्रप्रियार कितना कान था
इसलिए भर्तन पर खड़े रहे के में पैड़ डुखनी लगी ने
ऐसे लग रहा था कि आरामी करो ने
बहुत पेड़ डुख रही ने
इसलिए बहुत पेड़ डुख रही ने